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शाकम्बरी शास्त्री की श्रीमद् भागवत कथा सुनने उमड़े हजारों श्रद्धालु

भागवत कथा के दौरान व्यास पीठ पर बैठी शाकंभरी शास्त्री

प्रयागराज गौरव।भगवान को प्राप्त करना सबसे सरल कलियुग में ही है।विकल्प बहुत मिलेंगे भटकाने के लिए।लेकिन संकल्प एक ही काफी है मंजिल तक जाने के लिए। इस लिए सत्कर्म का संकल्प लें। जैसे संकल्प और प्रयत्न वैसी ही सिद्धी। भक्तजनों से यह बातें शाकम्बरी शास्त्री ने श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कही। कथा में भजनों से भाव विभोर भगवान द्वारा परिक्षित की रक्षा, भीवम महाप्रयान परिक्षीत जन्म, पाण्डवों का स्वर्गारोहण, परिक्षित द्वारा कलियुग दमन, नारद जी के पूर्वजन्म की कथा, शुखदेव चरित्र आदि का भक्ति से परिपूर्ण वर्णन किया।शाकम्बरी शास्त्री ने आगे कहा कि दान, पुण्य, गंगास्नान, तीर्थ की इच्छा मन में होते हुए भी हर कोई इसे नहीं कर पाता। यह सब सत्कर्म व्यक्ति के चाहने से नहीं भगवान की कृपा से ही सम्भव हो पाते हैं। जिस पर भगवान की कृपा होती है उसका मुख सत्य बोलने लगता है, कान कथा सुनने लगते हैं, जीभ हरिनाम संकीर्तन करती है। मोहन से दिल क्यों लगाया है, ये तुम जानों या मैं जानूं… जैसे भजनों पर भक्त भक्ति में साराबोर होकर खूब झूमें। प्रातः 9 बजे हवन का में सभी भक्तजनों ने श्रद्धाभाव के साथ भाग लिया।

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