माघ मेला त्रिवेणी संगम प्रयागराज में अखंड भंडारा और प्रवाहित हो रही है ज्ञान गंगा
14 जनवरी से 24 फरवरी माघी पूर्णिमा तक संचालित हो रहा अखंड भंडारा

प्रयागराज गौरव।संगमनगरी प्रयागराज के संगम तट पर महाकुंभ के एक वर्ष पूर्व देश का सबसे बड़े धार्मिक माघ मेला का आयोजन हो रहा है,जिसमें देश दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु आए हुए है।माघ मेले के छह प्रमुख स्नान है,जिसमें लाखों करोड़ों की तादाद में श्रद्धालु संगम तक पहुंचते हैं।इस धार्मिक मेले कि अनेक विशेषताएं हैं और अलग पहचान भी है।कहा जाता है जो भी श्रद्धालु माघ मेला आता है, वो भूखा नहीं रहता है और यह बात पूर्णतः सच भी है।सिर पर पगड़ी,भगवा वस्त्र, नंगे पांव और जुबां पर नमः पार्वती पतये हर हर महादेव का उद्घोष। यह दृश्य है माघ मेले के त्रिवेणी संगम श्री आद्य शंकराचार्य धर्मोत्थान संसद शिविर में 14 जनवरी से 24 फरवरी माघी पूर्णिमा तक संचालित हो रहे अखंड भंडारा में उपस्थित हुए साधु संतों का है।
आद्य शंकराचार्य धर्मोत्थान संसद नई दिल्ली के सानिध्य में माघ मेला ओल्ड जीटी रोड त्रिवेणी संगम प्रयागराज में दण्डी स्वामी को भोजन के साथ दक्षिणा दी जाती रही है। इसके अलावा इस शिविर में श्रीरामकथा शाकाम्भरी शास्त्री के श्रीमुख से ज्ञान गंगा भी प्रवाहित हो रही है। इस शिविर में प्राचीन भारतीय संस्कार की झलक दिखाई देती है। यहां भोजन बनाने और खाने से पहले अन्नदाता व भगवान को नमन करना संस्कृति के दर्शन कराते हैं। साधु संन्यासियों के शामिल होने से भोजन प्रसाद स्वरूप हो जाता है। इस बारे छैल बिहारी दास बताते हैं कि माघ मेला क्षेत्र में भूमि पर बैठकर खाने से शरीर में इसकी पौष्टिकता बढ़ जाती है। यही भोजन करने के संस्कार भी हैं।मन से सेवा करने का सुखद परिणाम भगवान देता है।आश्रम में रोजाना हजारों लोग भोजन कर रहे हैं।
यह भंडारा सुबह से लेकर देर रात तक चलता है।इस पंडाल की एक और खास बात ये है कि भोजन लेने की लाइन इतनी लंबी लगती है कि कितने लोग लगे है,गिनना भी मुश्किल हो जाएगा।