
महाकुंभ नगर। प्रयागराज में अगले माह से आयोजित होने जा रहे 2025 महाकुम्भ में जन आस्था के सबसे बड़े आकर्षण तेरह अखाड़ों का महाकुम्भ नगर में प्रवेश का सिलसिला आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में गुरुवार को महाकुम्भ 2025 के लिए श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़े ने पूरी भव्यता , राजसी अंदाज और ढोल नगाड़ों के साथ महाकुम्भ नगर में प्रवेश किया। जगह जगह श्रद्धालुओं और महाकुम्भ प्रशासन ने पुष्प वर्षा कर अखाड़े के संतों का स्वागत किया।
अखाड़े की पेशवाई के दौरान चारों ओर सनातन का अलौकिक वैभव नजर आ रहा था। सुबह 11 बजे अग्नि अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी रामकृष्णानंद के नेतृत्व में चौफटका स्थित अनंत माधव मंदिर से अग्नि अखाड़े की पेशवाई निकाली गई। अग्नि अखाड़े की पेशवाई में आगे की कतार में अखाड़े की धर्म ध्वजा फहरा रही थी,वहीं उसके पीछे अखाड़े की ईष्ट भगवती गायत्री के रथ का लोग दर्शन कर रहे थे।
●पेशवाई में शामिल हुए हाथी, घोड़े और ऊंट
अग्नि अखाड़े की पेशवाई में अग्नि अखाड़े के साथ ही दूसरे अखाड़े के महंत, श्री महंत, महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर भी ट्रैक्टर पर बनाए गए रथों पर रखे गए चांदी के हौदों में सवार होकर लोगों को दर्शन दे रहे थे। अग्नि अखाड़े की पेशवाई में हाथी, घोड़े और ऊंट भी शामिल किए गए थे। जिन पर सवार होकर नागा संन्यासियों ने महाकुंभ छावनी में प्रवेश किया। पेशवाई में अखाड़े की धर्म ध्वजा और इष्ट देव के पीछे नागा संन्यासी भी हैरतअंगेज करतब दिखाते हुए चल रहे थे। में शामिल संत महात्माओं के दर्शनों के लिए जगह-जगह सड़क के किनारे भक्तों की भारी भीड़ नजर आई।
●रास्ते भर की गयी पुष्पवर्षा
लोगों ने संत महात्माओं पर पुष्प वर्षा कर उनका आशीर्वाद लिया। इसके साथ ही पेशवाई के आने पर साधु संतों को माला पहनाकर उनका सम्मान करते हुए संतों से आशीष मांगा। पेशवाई महाकुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचने पर योगी सरकार की तरफ से मेला प्राधिकरण के अधिकारियों भी संत महात्माओं का स्वागत करेंगे। अग्नि अखाड़े की पेशवाई के दौरान पुलिस और प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इस पेशवाई में सबसे आगे घुड़सवार पुलिस का दल चल रहा था, जबकि अग्नि अखाड़े की पेशवाई में श्री अखंड परशुराम अखाड़ा भी शामिल हुआ।
●अग्नि अखाड़े में ब्राह्मणों को ही दीक्षा दी जाने की है परंपरा
अग्नि अखाड़े में सिर्फ ब्राह्मणों को ही दीक्षा दिए जाने का प्रावधान है। अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्णा नंद ने बताया कि पेशवाई के बाद अब अखाड़े के संत महात्मा महाकुंभ स्थित छावनी में ही रहकर तप, जप, साधना और शाही स्नान करेंगे। अखाड़े की पेशवाई में उनके अखाड़े के महामंडलेश्वर और मंडलेश्वरों के साथ ही दूसरे अखाड़े के भी संत महात्माओं ने शिरकत की। उन्होंने बताया कि अग्नि अखाड़े के तपस्वी संन्यासी आगे चलकर दंडी संन्यासी बनते हैं। अग्नि अखाड़े के ही नागा संन्यासी वेदों पुराणों का अध्ययन कर किसी मठ के शंकराचार्य बन जाते हैं।